महामृतुन्जय जप मृत्युंजय का अर्थ होता है मृत्यु पर विजय प्राप्त करना अर्थात व्यक्ति को इस मृत्युलोक मे बार-बार जन्म न लेना पड़े मोक्ष को प्राप्त हो जाए |इस जनम मैं उसका शरीर हमेशा स्वस्थ रहे , धन धान्य की वृद्धि हो कल्याण हो तथा जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाए |वेदों का ह्रदय महामृत्युंजय मन्त्र कहलाता है|यह मृतस्वनी मंत्र भी कहलाता हैं |समस्त पाप , अल्पायु , दुःख भय , रोग-शोक के निवारण के लिए महामृत्युंजय ही सर्वश्रेठ हैं | इसकी संख्याएं शास्त्रो मे निम्न प्रकार से है ११०० , ११००० अथवा १२५००० या जितना हो सके यथाशक्ति अनुसार | पूजा एवम कष्ट निवारण के लिय सम्पर्क करें